लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी का अर्थ है- ल (लकड़ी), ओह (गोहा यानी सूखे उपले), ड़ी (रेवड़ी)। लोहड़ी के पावन अवसर पर लोग मूंगफली, तिल व रेवड़ी को इकट्ठठा कर प्रसाद के रूप में इसे तैयार करते हैं और आग में अर्पित करने के बाद आपस मे बांट लेते हैं। जिस घर में नई शादी हुई हो या फ‍िर बच्‍चे का जन्‍म हुआ हो वहां यह त्‍योहार काफी उत्‍साह व नाच-गाने के साथ मनाया जाता है। 
 भगवान कृष्ण द्वारा लोहिता राक्षसी का वध भी आज के दिन किया गया था उस खुशी के उपलक्ष में  यह पर्व मनाया जाता है कालांतर में अकबर के शासन के दौरान दुल्ला भट्टी की वीरगाथा से जोड़ा गया उसके जीवन की  विशेषताओं में से एक यह है कि उसने मुगलों द्वारा प्रकारांतर से उठाई गई हिंदू लड़कियों को वापस छीन कर उनका विवाह हिंदू  युवकों के साथ कराया गया। किंतु कुछ लोग आज लोहड़ी पर्व को केवल दुला भटी से जोड़कर इतिश्री कर लेते हैं जबकि सच्चाई है यह एक सामूहिक यज्ञ हवन की एक प्रक्रिया है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से 1 दिन पहले पूरे भारत  में प्रकारांतर से यह पर्व मनाया जाता है। सब जगह किसी न किसी प्रकार का हवन करने की परंपरा रही है। तीन चार महीने की सर्दी के कारण शरीर में आलस्य का भरना और उससे मन में नकारात्मकता के कुहासे को दूर करने के लिए क्षेत्र के सभी लोग एक जगह एकत्र होकर हवन करते थे। उसमें अन्य  सामग्री के अलावा काले तिल की आहुति दी जाती है।
काले तिल नकारात्मकता का अंत दर्शाते है। पूजन, लोहड़ी की आग और हवन में काले तिलों का उपयोग करना जीवन में नकारात्मकता खत्म होने का संकेत देते हैं।
 आज हमारे मन में स्वदेशी, राष्ट्रीयता, राष्ट्रभाषा,  राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह, राष्ट्र के लिए अपना शरीर होम करने वाले शहीदों को लेकर मन में नकारात्मकता का भाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। लोहड़ी के पर्व पर हम सब एकत्र होकर जीवन से इस नकारात्मकता के भाव को निकालकर दूर करें और देश को पुनः वैभव पर ले जाएं ऐसा प्रयास करें।